कभी आपने सोचा है कि जिस कंपनी ने दुनिया को बेहतरीन गाड़ियाँ दीं, वो अब अपनी रणनीति क्यों बदल रही है? Honda, जो जापान की मशहूर कार निर्माता कंपनी है, अब अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के सपनों को फिलहाल थाम रही है। कंपनी का कहना है कि EV बाज़ार में अमेरिका में गिरती मांग और वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से अब वो अपनी प्राथमिकता हाइब्रिड वाहनों की ओर बढ़ा रही है।
EV के सपनों को फिलहाल विराम
Honda ने पहले यह लक्ष्य रखा था कि वह साल 2030 तक अपनी कुल वैश्विक बिक्री का 30 प्रतिशत हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों से हासिल करेगी। लेकिन अब कंपनी ने इस लक्ष्य को पूरी तरह से रद्द कर दिया है। CEO तोशिहिरो मिबे ने इस कदम को ‘कोर्स करेक्शन’ कहा है, न कि दीर्घकालिक बदलाव। Honda अभी भी दीर्घकाल में इलेक्ट्रिक की ओर बढ़ना चाहती है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए रास्ता थोड़ा बदलना पड़ा है।
निवेश में कटौती और लचीलापन बढ़ाने की योजना
Honda ने इलेक्ट्रिक वाहनों में अपने पहले से तय निवेश 10 ट्रिलियन येन (लगभग 69 अरब डॉलर) को घटाकर अब 7 ट्रिलियन येन (लगभग 48 अरब डॉलर) कर दिया है। इसके साथ ही, कंपनी अब ऐसी फैक्ट्रियों में निवेश करेगी जो EV और Hybrid दोनों बना सकें, जिससे बाज़ार की मांग के अनुसार उत्पादन में आसानी हो सके।
अमेरिका की राजनीति और नीति बदलाव का असर
Honda की रणनीति में यह बदलाव उस समय आ रहा है जब अमेरिका में EV को लेकर सरकार की नीतियां बदलती दिख रही हैं। संभावित टैरिफ बदलाव और EV नीति में समर्थन की कमी, Honda की नई रणनीति के पीछे का बड़ा कारण बन रहे हैं। हालांकि कंपनी ने किसी राजनीतिक नाम का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन संकेत साफ हैं कि वैश्विक राजनीति का असर अब ऑटो सेक्टर पर भी दिखने लगा है।
मोटरसाइकिल कारोबार में उछाल और तकनीकी निवेश जारी
जहां EV सेगमेंट में Honda को झटका लगा है, वहीं उसका मोटरसाइकिल कारोबार खासकर भारत में जबरदस्त उछाल पर है। भारत जैसे देशों में बढ़ती मांग और मार्केट शेयर ने कंपनी को एक नया आत्मविश्वास दिया है। साथ ही, Honda ड्राइवर-असिस्ट टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेफ्टी में भी भारी निवेश कर रही है ताकि आने वाले समय में सड़क हादसों को शून्य तक लाया जा सके।
Nissan और Mitsubishi से नहीं बनी बात, लेकिन तकनीकी सहयोग जारी रहेगा
जहां एक ओर Honda अपनी रणनीति को नए सिरे से गढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर Nissan और Mitsubishi के साथ मर्जर की बातचीत अब टूट चुकी है। हालांकि तकनीकी सहयोग को लेकर बातचीत अभी भी जारी है। इससे ये ज़रूर साफ होता है कि Honda सहयोग के रास्ते अभी बंद नहीं कर रहा है।
नुकसान के बाद भी भरोसा कायम
हाल ही में Honda की सालाना कमाई में 24.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण चीन में गिरती बिक्री और टैरिफ का असर रहा। फिर भी कंपनी का मानना है कि उसकी नई रणनीति और वैश्विक स्तर पर विविधता वाला दृष्टिकोण भविष्य में उसे मज़बूती देगा।
इस बदलती दुनिया में जहां तकनीक और पर्यावरण नियम हर दिन बदल रहे हैं, Honda का यह कदम यह दिखाता है कि वो वक्त के साथ चलने वाली कंपनी है। भले ही आज EV पर थोड़ा ब्रेक लगा हो, लेकिन भविष्य में यही ब्रेक उसे ज्यादा तेज़ और सही दिशा में चलने का मौका देगा। हाइब्रिड के रास्ते Honda अब नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रही है।
अस्वीकरण: यह लेख उपलब्ध सार्वजनिक जानकारियों और कंपनी के आधिकारिक बयानों पर आधारित है। वाहन उद्योग में नीतियाँ, योजनाएँ और बाज़ार की स्थितियाँ समय-समय पर बदलती रहती हैं। कृपया किसी भी निवेश या निर्णय से पहले अधिकृत स्रोतों से जानकारी अवश्य प्राप्त करें।
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