₹500 से शुरू हुआ संघर्ष: जब Ravi Kishan को अपने ही पिता से भागना पड़ा

On: July 25, 2025 12:25 PM
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₹500 से शुरू हुआ संघर्ष: जब Ravi Kishan को अपने ही पिता से भागना पड़ा

Ravi Kishan: हर इंसान के जीवन में कुछ ऐसे पल आते हैं जो उसे पूरी तरह बदल देते हैं। आज जिन रवि किशन को हम बड़े पर्दे पर देखकर तालियां बजाते हैं, उनके पीछे एक ऐसा संघर्ष छिपा है जिसे जानकर दिल भर आता है। एक समय ऐसा भी था जब रवि किशन को अपने ही पिता से जान बचाकर भागना पड़ा था, क्योंकि उन्होंने एक नाटक में माता सीता का किरदार निभाया था।

पिता की नाराज़गी और रोज़ की मार-पीट बनी रोज़मर्रा की बात

₹500 से शुरू हुआ संघर्ष: जब Ravi Kishan को अपने ही पिता से भागना पड़ा

पिता की नफ़रत और ग़लतफ़हमी ने रवि को अंदर तक तोड़ दिया था। वह एक ब्राह्मण परिवार से थे, जहां अभिनय को हेय दृष्टि से देखा जाता था। जब उन्होंने अभिनय की ओर कदम बढ़ाया, तो उनके पिता ने उन्हें “नालायक” और “नचनिया” जैसे शब्दों से अपमानित किया। रोज़ की मार-पीट इतनी सामान्य बात हो गई थी कि रवि को यही लगा कि शायद यही उनका प्यार जताने का तरीका है।

मां का साहसिक फैसला और ₹500 की उम्मीद

एक दिन उनके पिता का गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि जान तक लेने पर उतर आए। उसी दिन रवि की मां ने उन्हें ₹500 दिए और कहा, “भाग जा बेटा, आज नहीं गया तो तेरा अंत हो जाएगा।” इस एक फैसले ने रवि की ज़िंदगी की दिशा बदल दी।

बॉलीवुड में संघर्ष और भोजपुरी सिनेमा से नई पहचान

करीब दस सालों तक संघर्ष करते-करते उन्होंने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया और वहां से उनकी असली पहचान बनी। कामयाबी मिलते ही उन्होंने अपने पिता को हर वो सुख दिया जिसकी वो कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे हवाई यात्रा, बंगला, कार और महंगे कपड़े।

जब पिता ने कहा “मुझे माफ़ कर दो बेटा”

उनके पिता की सोच तब बदली जब उन्होंने देखा कि बेटा वही काम करके नाम और सम्मान कमा रहा है जिसे उन्होंने हमेशा तुच्छ समझा था। एक दिन उन्होंने रोते हुए रवि से माफ़ी मांगी, और रवि ने भी उनके चरणों में गिरकर कहा, “आप ही मेरे भगवान हैं।”

फिर भी अधूरा रहा प्यार का एहसास

लेकिन फिर भी, बचपन का वो खालीपन, वो चोटें रवि के दिल में कहीं गहरे बैठी रहीं। रवि किशन कहते हैं कि वो अपने बच्चों को कभी हाथ नहीं उठाते। वो मानते हैं कि संवाद से ज़्यादा प्रभावी कुछ नहीं होता।

पिता के अंतिम समय में भी न रो सके रवि

₹500 से शुरू हुआ संघर्ष: जब Ravi Kishan को अपने ही पिता से भागना पड़ा

अपने पिता की मौत पर भी वो नहीं रो सके। उनका कहना है कि वो दुख उनके भीतर कहीं गहराई में बैठा है जो शायद धीरे-धीरे कभी सामने आएगा। आज भी हर सांस में वो उन्हें याद करते हैं, लेकिन एक कसक दिल में रह जाती है काश उन्होंने थोड़ा प्यार जताया होता, काश उन्होंने बात की होती।

अस्वीकरण: यह लेख केवल जानकारी और प्रेरणा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें प्रस्तुत भावनाएं संबंधित व्यक्ति के अनुभवों पर आधारित हैं और इसका उद्देश्य किसी की मान्यताओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। लेख पूरी तरह मौलिक और भावनात्मक दृष्टि से लिखा गया है।

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rashmi kumari

रश्मि कुमारी एक अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिनके पास डिजिटल मीडिया और ब्लॉगिंग में 4+ वर्षों का अनुभव है। उन्होंने लाइफस्टाइल, टेक्नोलॉजी, एजुकेशन और ऑटोमोबाइल जैसे कई विषयों पर सैकड़ों SEO फ्रेंडली आर्टिकल्स लिखे हैं। रश्मि की खासियत है गहराई से रिसर्च करना और यूजर के लिए आसान भाषा में जानकारी देना।

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