Green hydrogen: हर भारतीय यह जानता है कि देश की ऊर्जा जरूरतें कितनी तेजी से बढ़ रही हैं और इसके लिए हम कितने बड़े पैमाने पर कच्चे तेल पर निर्भर हैं। हर साल करीब 22 लाख करोड़ रुपये सिर्फ तेल आयात में खर्च हो जाते हैं। लेकिन अब इस तस्वीर को बदलने की शुरुआत हो चुकी है, और इसकी बागडोर संभाली है देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने।
हाल ही में एक बड़े आयोजन के दौरान गडकरी जी ने एक 500 करोड़ रुपये की पायलट योजना की घोषणा की है, जो ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी। इस योजना में टाटा, रिलायंस, एनटीपीसी जैसी बड़ी कंपनियों की भागीदारी है, और इसमें देश के विभिन्न मार्गों पर 27 हाइड्रोजन चालित वाहन चलाए जाएंगे।
ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन
नितिन गडकरी ने कार्यक्रम में एक स्पष्ट संदेश दिया कि ग्रीन हाइड्रोजन अब सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि भविष्य की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि “ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल ऑफ द फ्यूचर है, और हमारा लक्ष्य है कि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने और प्रदूषण भी घटाए।”
इस दौरान वे खुद Toyota Mirai, एक हाइड्रोजन फ्यूल सेल कार से पहुंचे, जिससे इस तकनीक के प्रति उनका विश्वास और प्रतिबद्धता साफ झलकती है।
भारत में स्वदेशी ऊर्जा की ओर पहला बड़ा कदम
गडकरी जी ने यह भी बताया कि भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता और आयातक है। देश का 87% तेल आयात पर निर्भर है, जिससे हर साल लाखों करोड़ खर्च होते हैं।
इस आर्थिक बोझ और पर्यावरणीय खतरे को देखते हुए सरकार अब बायोफ्यूल्स, एथेनॉल, आइसोब्यूटेनॉल और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधनों को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब ऐसे नियम बनाए जा चुके हैं जिससे 100% एथेनॉल पर आधारित फ्लेक्स इंजन भी भारत में इस्तेमाल हो सकें।
देश की प्रमुख कंपनियों के साथ साझा पहल
इस ऐतिहासिक योजना में देश की कई बड़ी कंपनियाँ भाग ले रही हैं, जिनमें शामिल हैं:
टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, वोल्वो, रिलायंस, इंडियन ऑयल, एचपीसीएल, बीपीसीएल, एनईआरटी और एनटीपीसी।
इन कंपनियों के सहयोग से 10 प्रमुख मार्गों पर 27 हाइड्रोजन चालित वाहन चलाए जाएंगे। इसके अलावा देशभर में 9 हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिनके तकनीकी मानक पहले ही तय किए जा चुके हैं।
कहाँ-कहाँ होंगे हाइड्रोजन ट्रायल रूट्स?
सरकार ने इन प्रमुख मार्गों को चुना है जहाँ पायलट प्रोजेक्ट के तहत वाहन चलाए जाएंगे:
दिल्ली – ग्रेटर नोएडा – आगरा
अहमदाबाद – वडोदरा – सूरत
भुवनेश्वर – कोणार्क – पुरी
पुणे – मुंबई
कोच्चि – तिरुवनंतपुरम
इन रूट्स पर हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाले ट्रकों और बसों का परीक्षण दो वर्षों तक किया जाएगा, ताकि इसकी व्यवहारिकता और व्यावसायिक मॉडल को समझा जा सके।
हाइड्रोजन वाहनों का नया युग शुरू
गडकरी जी ने जानकारी दी कि Tata Motors ने पहले ही 3 हाइड्रोजन चालित ट्रक लॉन्च कर दिए हैं, जिनमें दो फ्यूल सेल तकनीक वाले और एक इंटरनल कम्बशन इंजन पर आधारित है। उन्होंने Toyota से यह अनुरोध भी किया कि वे अपने IC इंजन को हाइड्रोजन पर चलने लायक बनाने पर काम करें।
उनका यह भी मानना है कि आने वाले 5 वर्षों में भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री विश्व की नंबर एक इंडस्ट्री बन सकती है, अगर हम नवाचार, वैकल्पिक ऊर्जा और प्रदूषण मुक्त तकनीकों पर तेज़ी से काम करते रहें।
भारत ने अब अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए वैकल्पिक और स्वदेशी रास्तों की तरफ सशक्त कदम बढ़ा दिए हैं। ग्रीन हाइड्रोजन, जो एक समय सिर्फ विज्ञान की बात लगती थी, अब भारत के हर नागरिक की ऊर्जा जरूरत का उत्तर बन सकती है।
सरकार की यह ऐतिहासिक पहल न केवल भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी लाएगी।
डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक जानकारी और घोषणाओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारियाँ समय और सरकारी योजनाओं के अनुसार बदल सकती हैं। किसी भी योजना से जुड़ी सटीक जानकारी के लिए संबंधित मंत्रालय या आधिकारिक वेबसाइट पर ज़रूर जाएँ।
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